tag:blogger.com,1999:blog-4208086182725287078.post8232609183378387614..comments2023-07-30T22:05:50.032+09:00Comments on अर्ज़ है...: दिल्ली में छपाक.. छई..अबयज़ ख़ानhttp://www.blogger.com/profile/06351699314075950295noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4208086182725287078.post-71333633215666057582010-08-02T09:03:26.940+09:002010-08-02T09:03:26.940+09:00अबयज़ भाई,
बेहद ख़ूबसूरती से उकेरा है दोस्त दिल के ...अबयज़ भाई,<br />बेहद ख़ूबसूरती से उकेरा है दोस्त दिल के जज्बातों को! सच में, बचपन के दिन भी क्या दिन थे!<br />रही दिल्ली की बात, तो यार खैर मनाओ के कॉमनवैल्थ ना बह जाए बस! ये बसन्ती नहीं देश की इज्ज़त का सवाल है!<br />आशीषसूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4208086182725287078.post-81343572932444373162010-07-24T09:32:15.822+09:002010-07-24T09:32:15.822+09:00हमेशा ही लगता है कि इससे प्यारा वो न्यारा गांव था....हमेशा ही लगता है कि इससे प्यारा वो न्यारा गांव था..लेकिन क्या किया जाये..जिन्दगी यूँ नहीं लौटने देती..<br /><br />बहुत कुछ याद दिलाया इस आलेख के माध्यम से.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4208086182725287078.post-41284461286255337352010-07-24T03:37:25.738+09:002010-07-24T03:37:25.738+09:00दिल्ली दरअसल अदूरदर्शी प्रबंधन की मार झेल रही है.....दिल्ली दरअसल अदूरदर्शी प्रबंधन की मार झेल रही है... गांवों में तो प्रकृति से बड़ा प्रबंधक कोई नहीं... लेकिन शहरों में कमान नेताओं के हाथ में है... ये नेता और इनकी नौकरशाही चू&%$यों की जमात है... इन्हें नोट भरने और टाइम पास करने से ही फुरसत नहीं है... ऐसे में हर मौसम इसी तरह से मुश्किलों भरा रहेगा... ऐसा तो नहीं है कि दिल्ली में पहली बार बारिश हो रही हो... इन पर सियारों वाली कहानी ठीक बैठती है... <br /><br />गांवों में रहने में ही आनंद है... ये तो विवशता है कि यहां आना पड़ा..Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.com