अबयज़ ख़ान
कुछ तुम भी पहल करो, कुछ मैं करूंगा
तुम हीर बनो मेरी, मैं मीर बनूंगा।।

ये प्यार-मौहब्बत कोई खेल नहीं बच्चों का
तुम धड़कन बन जाना मैं सांस बनूंगा।।

वो प्यार ही क्या जिसमें सब राज़ छुपाए
कुछ तुम कहना अपनी, कुछ मैं कहूंगा।।

मेरी वजह से कोई तकलीफ़ मिले तुमको
तुम सबकुछ कह लेना मैं चुपचाप सुनूंगा।।

जब आने लगे मुश्किल प्यार के रस्ते में
तुम साथ निभाना मेरा, मैं दीवार बनूंगा।।

मझधार में छोड़ोगे, तो पछताओगे तुम
कैसे बचोगे जब मैं, तूफ़ान बनूंगा।।
अबयज़
2 Responses
  1. betaal Says:

    बहुत शानदार, एक मित्र, हम ख्याल हमपेशा और हम शौक होने के नाते भी ये कोशिश मेरी नज़र में बेहद अहम है...उम्मीद है आगे भी कुछ अच्छी मुलाक़ात होती रहेगी इसी तरह से...

    जयंत 'बेताल'