अबयज़ ख़ान
मैं इसे छोड़कर जा तो रहा हूं,
लेकिन इसके हर शख्स से दीवारो-दर से
मेरी कुछ यादें जुड़ी हैं...
चंद लोगों का ये कैंपस क्या है
एक छोटा सा संसार है।
मेरे जाने के बाद बाकी रहेगा यहां
मेरी यादें, मेरी परछाईंया
मेरी शोखियां, मेरी शैतानियां
मेरी निशानियां, लेकिन
तुम मुझे यूं ही भूल नहीं सकते
मेरे जाने के बाद हर शख्स से
पूछोगे मेरा पता...
फिर ढूंढोगे तुम मुझे
कभी चाय की चुस्कियों में
कभी यारों की चकल्लस में...
बेशक मेरे चले जाने के बाद
कुछ दिन सूना-सूना सा लगेगा ये आंगन
लेकिन फिर कोई आयेगा आपके बीच
फिर लौटेगी वही हंसी, वही शोखी, वही बिंदासपन
और भूल जाएंगे आप बीते वक्त की तरह
और ये सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।

अबयज़ ख़ान