Feb
27

वैसे तो पूरे लाहौल-स्पीति को ही बर्फीला रेगिस्तान कहा जाता है... लेकिन काज़ा की पहाड़ियों पर जमी बर्फ और हल्के काले बादल इसको और भी दिलकश बना देते हैं... लाहौल स्पीति की पूर्वी सीमा तिब्बत से मिलती है और तिब्बत की सीमा के पास ही मौजूद है काज़ा.. स्पीति नदी के किनारे पहाड़ी की चोटी पर बसे इस छोटे से कस्बे में कुछ होटल्स और रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए छोटा सा बाज़ार भी है...हालांकि काज़ा के बारे में कहा जाता है कि यहां ऑक्सीजन की कमी की वजह से कई बार आपको सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है.. लेकिन यहां पहुंचने का रोमांच सारी थकावट को दूर कर देता है... काज़ा से कुछ ऊपर ही है रोहतांग दर्रा, जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई तकरीबन 3980 मीटर है.. और रोहतांग जाने वाले काज़ा से होकर ही गुज़रते हैं...

इस पेट्रोल पंप पर वो सभी सहूलियतें हैं जो किसी दूसरे पेट्रोल पंप पर होती हैं... पेट्रोल-डीज़ल के साथ ही, फर्स्ट एड तक... पहाड़ी पर मौजूद पेट्रोल पंप छोटा ज़रूर है, लेकिन आपके सफ़र में कभी रुकावट नहीं आने देता... पेट्रोल पंप के आस-पास सफेद चांदी जैसी बर्फ की चोटियां आपको बरबस ही अपने आगोश में ले लेती है... तिब्बत की सीमा से सटे इस पेट्रोल पंप पर जो भी आता है, वो खुद पर फख्र ज़रूर करता है... इस पेट्रोल पंप के कुछ लम्हों को अपने कैमरे में ज़रूर कैद करता है... खास बात ये है कि पेट्रोल पंप के बड़े से बोर्ड के नीचे सर्व शिक्षा अभियान का नारा भी लिखा है.. जो माता-पिता शिक्षित होंगे, संतान उसी की सुखी होगी... यानि इंडियन ऑयल का ये पंप, न सिर्फ पहाड़ की मुश्किल राहों को आसान बना रहा है, बल्कि सरकार के नेक काम में भी इसने भागीदारी निभाई है... वाकई लाजवाब है भारत का आखिरी और दुनिया का सबसे ऊंचा पेट्रोल पंप...
आखिर में काज़ा से जुड़ी एक और दिलचस्प बात.. जब मैंने ये पोस्ट पब्लिश की, उसके बाद मेरे पास आदर्श का फोन आया, आदर्श का कहना था, कि काज़ा वैसे तो एक टूरिस्ट प्लेस है ही, लेकिन जब किसी अधिकारी या कर्मचारी को सज़ा देना होती है, तो सरकार उसका ट्रांसफर काज़ा में कर देती है... है न दिलचस्प बात..