इस बार ब्लॉग की पोस्ट बिल्कुल ही अलग सी है.. इस बार कलम नहीं सिर्फ तस्वीरें बोलेंगी... देखने में भले ही ये तस्वीरें मामूली सी हों... लेकिन इनके पीछे कई सदियां छिपी हुई हैं.. इन तस्वीरों में जीकर तमाम पीढ़ियां गुज़र गईं... ये तस्वीरें बेशक गुजरे ज़माने की दास्तान बयान करती हों... लेकिन इन तस्वीरों के पीछे फोटोग्राफी की कई दास्तानें छिपी हैं... एक दौर छिपा है, जिसकी कहानियां हम आज की पीढ़ी को सुनाते हैं.. ये तस्वीरें गुज़रा ज़माना याद कराती हैं.. तो बचपन के दिनों को याद कराकर आंखों को भी नम कर देती हैं...
अब ज़रा चाची की इस इस तस्वीर को ही गौर से देख लीजिए... फोटो खिंचवाने का ये भी एक अनूठा ही शौक था.. फोटो स्टूडियो में नकली मोटरसाईकिल पर बैठकर फोटो खिंचवाने का भी अपना ही अलग मज़ा था... और पीछे सवारी भी बैठी हो, फिर तो क्या कहने... क्यों जी कुछ याद आया.. आंटी जी की इस तस्वीर को देखकर.. घर के पास वाले मेलों में तो अपने भी ऐसी तस्वीरे ज़रूर खिंचवाई होगी...
चलिए अब एक और तस्वीर से आपको रूबरू कराते हैं.. 80 से 90 के दौरान अगर आपकी शादी हुई होगी, तो अपनी बेगम के साथ आपने भी तस्वीर तो ज़रूर खिंचवाई होगी.. क्या कमाल के फोटग्राफर हुआ करते थे... आपके इशारे से पहले ही समझ जाते थे, कि आपको ऐसी तस्वीर चाहिए, जिससे ये साबित हो जाए, कि आप उसके लिए चांद ही तोड़कर ले आए.. ढूंढिए अपने घर में भी कोई ऐसी तस्वीर...चांद में से झांकते शौहर जनाब अपनी बीवी को दिलासा दिला रहे हैं कि बेगम मान भी जाओ.. असली न सही, कम से कम आपके लिए चांद तो ले ही आया.. लेकिन बेगम हैं कि फोटो में भी रूठी-रूठी नज़र आती हैं.. तस्वीर में चांद भी है, दिल भी है, लेकिन दिलरुबा रूठी-रूठी सी है.. इंडियन फोटोग्राफी का पूरा कमाल है.. लेकिन कमाल ये है कि बेगम हैं कि मानती ही नहीं.. कुछ याद करिए.. आपने भी ऐसी तस्वीर ज़रूर बनवाई होगी.. तो निकालिए अपनी एलबम और गुज़रे ज़माने को भी ज़रा याद कर लीजिए..
अब एक तस्वीर यारबाज़ों के लिए.. ये उनके लिए जिन्हें काम के बाद यारी का बड़ा शौक था.. दोस्तों के साथ घूमने जाने के बहाने ढूंढते थे... और बात-बात पर पहुंच जाते थे फोटोग्राफर भाईसाहब के पास.. नए-नए कपड़ों और सूटबूट में सजधजकर पहुंच गए तस्वीर खिंचवाने.. लेकिन वो तस्वीर ही क्या जिसमें टशन न हो.. जिसमें अदा न हो.. दोस्तों का साथ हो और एक्टिंग न हो, तो फिर क्या कहने.. फोटोग्राफर की दुकान पर अदा दिखाने का पूरा सामान मौजूद होता था.. बस फिर क्या था.. हाथ में पकड़ा टेलीफोन और पीछे टेलिविज़न.. बगल में खड़े हो गए साथी.. क्या कमाल की पिक्चर होती थी.. पीछे पहाड़ों का नज़ारा, कुर्सी पर बैठकर बन गये लाट साहब.. फोटोग्राफर ने कहा स्माइल प्लीज़... और लो जी खिंच गई तस्वीर... अपने यार दोस्तों के साथ तो आपने भी ज़रूर खिंचवाई होगी ऐसी तस्वीर.. क्यों जी याद आए दोस्तों के साथ कुछ पुराने दिन..यारबाज़ी के दिन...
ये तस्वीर देखकर आपको हंसी तो आ रही होगी, लेकिन हंसियेगा मत.. कभी न कभी तो आपने भी किसी के साथ ऐसी तस्वीर खिंचवाई होगी.. रानी मुखर्जी न सही, प्रीती जिन्टा ही सही.. कुछ नहीं तो माधुरी के साथ ही.. आपके दिल ने भी धक-धक तो किया ही होगा... अरे क्या हुआ असली न सही.. तो उसकी तस्वीर ही सही... कम से कम तस्वीर ने तसव्वुर करने को कब मना किया है... पीछे पहाड़ों का खूबसूरत नज़ारा और बगल में रानी मुखर्जी हो.. तो किस कमबख्त का मन नहीं करेगा...एक अदद तस्वीर बनवाने के लिए... बस रानी मुखर्जी की कमर में डाल दिया हाथ.. कौन सा रानी मुखर्जी मना कर रही है.. और फिर वैसे भी फोटोग्राफर तो पूरे ही पैसे लेगा.. और फिर जब मौका मिल रहा है, तो क्यों न कैश करा लिया जाए... मेला भी याद रहेगा.. और मेले में खिंचवाई तस्वीर भी..तस्वीरें भले ही पुराने दौर की हों... लेकिन एक दौर को याद करा गईं... कुछ भूला-बिसरा वक्त..
अब ज़रा चाची की इस इस तस्वीर को ही गौर से देख लीजिए... फोटो खिंचवाने का ये भी एक अनूठा ही शौक था.. फोटो स्टूडियो में नकली मोटरसाईकिल पर बैठकर फोटो खिंचवाने का भी अपना ही अलग मज़ा था... और पीछे सवारी भी बैठी हो, फिर तो क्या कहने... क्यों जी कुछ याद आया.. आंटी जी की इस तस्वीर को देखकर.. घर के पास वाले मेलों में तो अपने भी ऐसी तस्वीरे ज़रूर खिंचवाई होगी...
चलिए अब एक और तस्वीर से आपको रूबरू कराते हैं.. 80 से 90 के दौरान अगर आपकी शादी हुई होगी, तो अपनी बेगम के साथ आपने भी तस्वीर तो ज़रूर खिंचवाई होगी.. क्या कमाल के फोटग्राफर हुआ करते थे... आपके इशारे से पहले ही समझ जाते थे, कि आपको ऐसी तस्वीर चाहिए, जिससे ये साबित हो जाए, कि आप उसके लिए चांद ही तोड़कर ले आए.. ढूंढिए अपने घर में भी कोई ऐसी तस्वीर...चांद में से झांकते शौहर जनाब अपनी बीवी को दिलासा दिला रहे हैं कि बेगम मान भी जाओ.. असली न सही, कम से कम आपके लिए चांद तो ले ही आया.. लेकिन बेगम हैं कि फोटो में भी रूठी-रूठी नज़र आती हैं.. तस्वीर में चांद भी है, दिल भी है, लेकिन दिलरुबा रूठी-रूठी सी है.. इंडियन फोटोग्राफी का पूरा कमाल है.. लेकिन कमाल ये है कि बेगम हैं कि मानती ही नहीं.. कुछ याद करिए.. आपने भी ऐसी तस्वीर ज़रूर बनवाई होगी.. तो निकालिए अपनी एलबम और गुज़रे ज़माने को भी ज़रा याद कर लीजिए..
अब एक तस्वीर यारबाज़ों के लिए.. ये उनके लिए जिन्हें काम के बाद यारी का बड़ा शौक था.. दोस्तों के साथ घूमने जाने के बहाने ढूंढते थे... और बात-बात पर पहुंच जाते थे फोटोग्राफर भाईसाहब के पास.. नए-नए कपड़ों और सूटबूट में सजधजकर पहुंच गए तस्वीर खिंचवाने.. लेकिन वो तस्वीर ही क्या जिसमें टशन न हो.. जिसमें अदा न हो.. दोस्तों का साथ हो और एक्टिंग न हो, तो फिर क्या कहने.. फोटोग्राफर की दुकान पर अदा दिखाने का पूरा सामान मौजूद होता था.. बस फिर क्या था.. हाथ में पकड़ा टेलीफोन और पीछे टेलिविज़न.. बगल में खड़े हो गए साथी.. क्या कमाल की पिक्चर होती थी.. पीछे पहाड़ों का नज़ारा, कुर्सी पर बैठकर बन गये लाट साहब.. फोटोग्राफर ने कहा स्माइल प्लीज़... और लो जी खिंच गई तस्वीर... अपने यार दोस्तों के साथ तो आपने भी ज़रूर खिंचवाई होगी ऐसी तस्वीर.. क्यों जी याद आए दोस्तों के साथ कुछ पुराने दिन..यारबाज़ी के दिन...
ये तस्वीर देखकर आपको हंसी तो आ रही होगी, लेकिन हंसियेगा मत.. कभी न कभी तो आपने भी किसी के साथ ऐसी तस्वीर खिंचवाई होगी.. रानी मुखर्जी न सही, प्रीती जिन्टा ही सही.. कुछ नहीं तो माधुरी के साथ ही.. आपके दिल ने भी धक-धक तो किया ही होगा... अरे क्या हुआ असली न सही.. तो उसकी तस्वीर ही सही... कम से कम तस्वीर ने तसव्वुर करने को कब मना किया है... पीछे पहाड़ों का खूबसूरत नज़ारा और बगल में रानी मुखर्जी हो.. तो किस कमबख्त का मन नहीं करेगा...एक अदद तस्वीर बनवाने के लिए... बस रानी मुखर्जी की कमर में डाल दिया हाथ.. कौन सा रानी मुखर्जी मना कर रही है.. और फिर वैसे भी फोटोग्राफर तो पूरे ही पैसे लेगा.. और फिर जब मौका मिल रहा है, तो क्यों न कैश करा लिया जाए... मेला भी याद रहेगा.. और मेले में खिंचवाई तस्वीर भी..तस्वीरें भले ही पुराने दौर की हों... लेकिन एक दौर को याद करा गईं... कुछ भूला-बिसरा वक्त..
अच्छी यादें....
laddoospeaks.blogspot.com
kya baat hai!
हा हा!! कौन सा जमाना याद दिला दिया जी...रेखा के साथ तस्वीर का जमाना हमारा था. :)
nice
अबयज़, मज़ा आ गया! से चीज़! क्लिक!
मज़ा आ गया अब्यज भाई, मै भी अपनी एक तस्वीर देखता हूं जिसमें मेरी मम्मी एक साल के शशांक को गोद में लिये फूल के गुलदस्ते के बगल में खड़ी फोटो खिचवा रही है। हंसी तो आती है पर अच्छा लगता है उन तस्वीरों के देखना।
GREAT SIR , EVERYTHING EACH N EVERY WORDS REMINDS ME OF OLD DAYS. GREAT IMAGINATION U HAVE,REALLY I DONT HAVE WORDS TO EXPLAIN. CAN ONLY SAY THAT I AM HONOURED TO HAVE U AS MY SENIOR. NICE VERY NICE.
फोन के साथ फोटो खिचवाने का भी अपनी टशन था..मुझे याद है जब हमने फोन लगवाया था...तो कई लोगों ने उसके साथ फोटो खिचवाया था..
हा हा ...क्या तस्वीरें है....वह भी कोई दौर था,आज के बच्चे यकीन भी नहीं करेंगे...कभी ऐसे भी फोटो खिंचवाते थे,लोग....बहुत चुन चुन कर लाये हैं आप तस्वीरें.
हा हा ...क्या तस्वीरें है....वह भी कोई दौर था,आज के बच्चे यकीन भी नहीं करेंगे...कभी ऐसे भी फोटो खिंचवाते थे,लोग....बहुत चुन चुन कर लाये हैं आप तस्वीरें.
भाई यक़ी जानो यादें .....बेखटके दौड़ी चली आयीं...क्या दिन थे..क्या दौर था....लेकिन आज भी कमोबेश भाव में कमी नहीं आई है.
बहुत ही शानदार पोस्ट.
मज़ा आ गया भाई..आपने तो मुझे बहराइच पहुंचा दिया...शुक्रिया...
आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.. ये मेरी खुशनसीबी है, कि आप जैसे लोग मेरे ब्लॉग पर आकर मेरी हौसलाअफ़ज़ाही कर जाते हैं...
wah wah suhan allah
वाकई...बहुत खूब। बहुत अच्छा पीस है...
ha !ha !ha!
बहुत ही रोचक पोस्ट!
सच बहुत अनूठा संग्रह है!