अबयज़ ख़ान
जून का तीसरा इतवार... दुनियाभर केबच्चों के लिए फादर्स डे.. लेकिन इसी जून की पहली तारीख मेरे पप्पा को मुझसे छीनकर ले गई। एकपल को ऐसा लगा जैसे सबकुछ ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। ऐसा लगा जैसे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई हो। शायद मेरे घर को किसी की नज़र लग गई.. हमेशा मुस्कुराने वाले मेरे पप्पा बड़े चुपके से हमें छोड़कर चलते बने। ग़म तो यह कि हमसे कुछ कहा भी नहीं। मेरे प्यारे पप्पा जब मेरे सिर सेहरा सजाने का ख्वाब देख रहे थे, तभी मौत आई और ज़िंदगी को धोखा देकर पप्पा को मुझसे छीनकर ले गई। पिछले साल फादर्स डे पर अपने पप्पा के लिए मैने चंद लाइनें लिखी थीं.. ऐसा लग रहा है जैसे एक-एक लाइन दिल को चीरकर रख देगी। पप्पा अगर कोई ख़ता हो गई हो, तो उसे माफ कर देना।

पप्पा.. अब भी पहले जैसे ही थे.. दिन बदल गए थे.. पप्पा नहीं बदले। उम्र की थकान उनके चेहरे से ज़ाहिर हो जाती थी। लेकिन बच्चों की ख़ातिर वो आज भी उफ़ तक नहीं करते थे। मेरे लिए दुनिया में अगर कोई सबसे ज्यादा प्यारा था, तो मेरे पप्पा। मां ने मुझे जन्म दिया है.. लेकिन पप्पा ने तो ज़िंदगी का ककहरा सिखाया था। एक हमारे पप्पा ही तो थे जिनके कंधो पर हमने छोटी सी उम्र से ही ढेरों सपने संजो लिए थे।होश संभालने के बाद पापा के सामने ही तो सबसे पहले हाथ फैलाया था। और पप्पा ने जेब से एक चवन्नी निकाल कर हाथ पर रख दी थी। उसके बाद तो ये सिलसिला सा चल निकला था। जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत होती.. पप्पा के पास पहुंच जाते। दुनिया की तमाम मुश्किलें आ जाएं.. बस फिक्र क्या करना.. आखिर मेरे पप्पा जो थे। सुबह क्लीनिक जाने वाले पप्पा जब शाम को थके-हारे घर लौटते थे.. तब झट से उनकी गोदी में चढ़ जाते थे। निगाहें कुछ खोजती थीं... शायद पप्पा बाज़ार से कोई चीज़ लाए हैं। कुछ खाने की चीज़... और पप्पा अपने बच्चों के मन की बात समझ जाते थे... घर लौटते वक्त उनके हाथ में कुछ न कुछ ज़रूर होता था। पप्पा का लाड़ तो पूछिए मत। उनका बस चलता.. तो आसमान से तारे भी तोड़कर ले आते। झुलसती गर्मी हो, कड़कड़ाती सर्दी हो, या फिर बरसात.. कड़ी धूप में मीलों का सफ़र... टपकती हुई किराए के घर की छत...दीवारों में सीलन.. तमाम दुश्वारियां सामने थीं.. लेकिन पप्पा ने कभी हार नहीं मानी। उंगली पकड़कर साथ चलने वाले पप्पा हमारी खातिर कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे।


जैसे-जैसे हम बड़े हो रहे थे.. पप्पा के सामने फ़रमाइशों की झोली बढ़ती जा रही थी। मुश्किलों के उस दौर में भी प्यारे पप्पा ने कभी हार नहीं मानी। हमें पालने और पढ़ाने के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया। अपनी ऐशो-आराम की उम्र उन्होंने हमारा मुस्तकबिल बनाने में गुज़ार दी। वक्त के साथ हम बढ़े होने लगे। कभी पापा की उंगली पकड़कर चलने वाले हम अब उनके कंधे से उचकने की कोशिश करने लगे। हम ये सोचकर कितने खुश होते थे.. कि हम पप्पा से बड़े हो रहे हैं। बार-बार पप्पा के बराबर खड़े होकर उनकी लंबाई से ऊपर जाने की कोशिश करते। लेकिन पप्पा अपने बच्चों के बड़े होने पर हमसे भी ज्यादा खुश होते थे। बेशक उनकी ज़िम्मेदारियां बढ़ रही थीं। फिर स्कूल से निकलकर कॉलेज का ज़माना आया। अब बारी थी.. घर से दूर दूसरे शहर में जाने की। लेकिन पप्पा अब भी खुश थे.. कि उनके बच्चे बड़े हो रहे हैं। लेकिन बच्चे तो अपनी ही दुनिया में मस्त थे। चवन्नी या एक रुपये से अब काम नहीं चलता था। अब पप्पा के सामने जेब खर्च की मोटी फ़रमाइश होती थी। फिर कॉलेज के बाद बारी आई नौकरी की। छोटे शहर से बड़े शहर का रुख हुआ। हम अब भी खुश थे.. बड़े शहर की चकाचौंध और नौकरी में पूरी तरह खो गए थे। पप्पा की गोद में सोने वाले अब पप्पा से मीलों दूर थे। पप्पा अब भी खुश थे.. लेकिन अब उनकी आंखे नम थीं.. क्योंकि बच्चे अब सचमुच बड़े हो गए थे... और उनसे बहुत दूर भी हो गए थे। और मेरे प्यारे पप्पा फिर से अकले हो गए।

10 Responses
  1. SACCHAI Says:

    आह ! दिल से निकले हर अल्फाज़ दिल तक पहुंचते है ..खुदा पापा को जन्नत बक्शे .. उनकी रूह को रोशनी अता फरमाए | "

    " अबयज मेरे भाई एक बार आवाज़ तो दो " पापा " कहेकर बुलाओ तो सही ... दिल में बैठे पापा तुम्हे जरूर जवाब देंगे मेरे भाई | "


  2. अबयज़ भाई,
    पिताजी के अवसान की क्षतिपूर्ति तो किसी प्रकार नहीं हो सकती लेकिन याद रहे कि अब वे शरीर के बन्धनों से मुक्त होकर सदा आपके साथ हैं। इस फादर्स डे को भी उनका आशीर्वाद आपके साथ है और सदा रहेगा।



  3. शब्दों में कुछ कहना इस पोस्ट के भावों के लिए कम ही होगा...


    पिता जी को श्रद्धांजली.

    महसूस करोगे हमेशा आस पास!!!


  4. Ashish jain Says:

    वाकई ...पापा
    उनकी यादें हमेशा आपके और अब हमारे बीच ज़िंदा रहेगी ...यह लेख लिखते हुए कितना दर्द हुआ होगा यह मैं अच्छी तरह जानता हूँ ,अभिनन्दन आपका ..आगे निशब्द हूँ सर ..आशीष


  5. अबयज़ भाई...
    शब्दों में कुछ कहना इस पोस्ट के लिए कम ही होगा...
    खुदा पापा को जन्नत बक्शे ..... :(


  6. JUMME को आपकी रचना "चर्चा-मंच" पर है ||
    आइये ----
    http://charchamanch.blogspot.com/


  7. http://charchamanch.blogspot.com/

    आज आप चर्चा मंच पर हैं ||


  8. बेहद अफसोसजनक ....


  9. Unknown Says:

    Maroof choudhray Khora 9716729825