अबयज़ ख़ान
आज सिर्फ़ क्रिकेट का भगवान नहीं रोया... आज सिर्फ़ बल्ले का शहशांह नहीं रोया... आज भगवान के साथ हिंदुस्तान रोया है... आज भगवान के साथ गेंद और बल्ले को जानने वाला हर शख्स रोया है... आज विकेट और गिल्ली को समझने वाले हर शख्स के आंसू निकले हैं...  आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर हिंदुस्तानी की आंखें नम थीं... क्योंकि आज भारत रत्न रोया है...



पलकों में आंसू लिए लाखों-करोड़ों फैंस अपने शहंशाह को सलामी दे रहे थे... लेकिन ये लम्हों का क़सूर है... कि जिसने क्रिकेट के भगवान को मैदान से जुदा कर दिया... आज आंखों में आंसू थे.. लेकिन दिल में दर्द था... दर्द ये कि लम्हों ने ये ख़ता क्यों की... टीस ये कि लोगों के दिलों में राज करने वाले भगवान ने मैदान को अलविदा कह दिया था...

आज सचिन अकेले नहीं रोए.. उनके साथ रोया उनके बचपन का वानखेड़े... उनके 24 साल के करियर में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होने वाला वानखेड़े... उनको क्रिकेट का ककहरा सिखाने वाला वानखेड़े...धूल भरी पिच पर अपने सचिन को बल्ले की बाजीगरी सिखाने वाला वानखेड़े... अपने इस जिगर के टुकड़े को आखिरी विदाई देते वक्त फूटफूटकर रोया...वानखेड़े में किसी के मुंह से अल्फ़ाज़ नहीं फूट रहे थे... लब जैसे थरथरा कर रह गए थे... होंट लरज़ने लगे थे... मांएं अपने आंचल से आंसू पोंछ रही थी... और बच्चे अपने सामने... एक इतिहास बनते हुए देख रहे थे...

वानखेड़े में जैसे ही मोहम्मद शमी ने वेस्टइंडीज़ के बल्लेबाज़ गैबरेल का आखिरी विकेट चटकाया... स्टेडियम तालियों की गूंज के बजाए... आंसुओं से ग़मग़ीन हो गया... वानखेड़े के हर स्टैंड से सिर्फ़ सिसकियां सुनाई पड़ रही थीं... क्रिकेट का कोहिनूर... जब हाथ हिलाकर स्टेडियम से विदाई ले रहा था... तो हर हिंदुस्तानी का दिल रो रहा था... हर कोई यही कह रहा था... कि ऐ सचिन इस आखिरी लम्हे में हमें ऐसी सज़ा क्यों दी.. और जो लोग इस लम्हे के गवाह नहीं बन पाए... उनका भी दल रो रहा था.. और टीस उनकी भी यही... कि ए भगवान... तू इन्सानों में भगवान बनाता क्यों है... और अगर भगवान बनाता है... तो उन्हें इंसानों से जुदा क्यों कर देता है...

बेशक क्रिकेट से अपनी जुदाई को मास्टर कभी नहीं भूल पाएंगे... लेकिन आज भी ये सबसे बड़ा दावा है... कि जब आने वाली हज़ार पुश्तें भी क्रिकेट का क ख ग सीखेंगी... तो यही कहेंगी... कि हे भगवान तब हम क्यों नहीं थे... जब भगवान खुद मैदान पर क्रिकेट को अमर करने में लगे थे.... जब भारत रत्न सचिन रमेश तेंदुलकर हिंदुस्तान की शान में चार चांद लगा रहे थे...


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