अबयज़ ख़ान
इश्क का रोग कब किसे लग जाए, कौन जानता है। नज़र से नज़र मिली नहीं, कि प्यार परवान चढ़ जाता है। लेकिन प्यार का इज़हार करने में सालों लग जाते हैं, और वो इसलिए क्योकि आपको पता ही नहीं चलता, कि आपको प्यार हो गया है। लेकिन जनाब हम आपको बताते हैं कि अगर आपको प्यार हो जाए, तो क्या है प्यार की पहचान।
फिज़ा महकी-महकी सी है। मौसम भीगा-भीगा सा है। बसंत के इस मौसम में प्यार के परिंदे चहकने लगे हैं। लेकिन प्यार किसी कैमिकल लोचे से नहीं होता, ये दिल कब किस पर मचल जाए, कौन जानता है। इश्क की पगडंडियों पर चलते-चलते कब आप प्यार के आगोश में समां जातें हैं, आपको खुद भी पता नहीं चलता। ये प्यार हर किसी से यूं ही नहीं हो जाता। 
लेकिन इस कम्बख्त इश्क की पहचान भी बड़ी अजीब होती, अगर आपको किसी से प्यार हो जाए, तो आप कुछ-कुछ बहक से जाते हैं। दिल में कुछ-कुछ होने लगता है। रातें करवटें बदल-बदल कर कटती हैं, जब ज़िंदगी आपको बहुत खूबसूरत लगने लगती है। उर्दू समझ में न आने के बावजूद आपको गज़ल बहुत अच्छी लगती हो। आपका हर रास्ता महबूब की गली से गुज़रता हो। दिन में बार-बार उसका फोन मिलाकर काट देते हों, तो समझिये आपको प्यार हो गया है। आप भी इश्क के उस चक्कर में पड़ गये हैं, जिसमें अच्छे-अच्छे घनचक्कर हो जाते हैं।
अरे जनाब इतना ही काफ़ी नहीं है, अभी तो इश्क की पहचान बहुत सी और भी हैं, जो आपको दीवाना साबित कर सकती है। जब कभी महबूब का नाम सामने आये, और आपका चेहरा गुलाबी पड़ जाए, तो समझिये आपको इश्किया बुखार हो गया है। उसकी हर पसंद आपकी पसंद बन जाए, उसके भगवान आपके खुदा बन जाएं, तो समझिये ये दिल आवारा हो चुका है। जब उसकी गली से गुज़रने पर आपका दिल धड़कने लगे, उससे सच बोलने पर आपकी ज़ुबान लरज़ने लगे, तो समझ लीजिए जनाब कि आपको प्रेम रोग हो गया है। तभी तो दुनिया कहती है... हां यही प्यार है।



अभी तो प्यार की इब्तेदा की थी, अभी से रास्ते में दुश्वारियां आ गईं। ये दर्द प्यार के उन प्रेमी जोड़ों का है, जिनका प्यार शुरु होने से पहले ही पल भर में बिखर जाता है। लेकिन प्यार करने वालों को शायद ये नहीं मालूम कि प्यार के तो अक्षर ही अधूरे होते हैं। शायद इसीलिए ढाई आखर प्रेम का दो कदम भी नहीं चल पाता। प्यार के बारे में किस्से आपने अक्सर सुने होंगे। प्यार को लेकर लोग खूब कसमें-वादे भी खाते हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है कि बहुत से लोगों का प्यार परवान चढ़ते ही टूट जाता है, तो कुछ लोग प्यार के सफ़र में चलते तो साथ-साथ हैं, लेकिन कुछ दूर चलने के बाद ही उनके रास्ते अलग-अलग हो जाते हैं। लेकिन हम आपको जो वजह बताने जा रहे हैं, वो अपने आप में काफ़ी दिलचस्प है।
दरअसल प्यार से जुड़े जितने भी अल्फ़ाज़ हैं, वो अपने आप में ही पूरे नहीं होते, तो भला प्यार कैसे परवान चढ़े। चाहें प्यार, इश्क, मौहब्बत और प्रेम को ही ले लीजिए, ये सभी लफ्ज़ अपने आप में ही अधूरे हैं, ऐसे में ढाई आखर का प्रेम भला ज़िंदगी भर चले भी तो कैसे। जबकि प्यार के अपोज़िट जितने भी अल्फ़ाज़ हैं, वो न सिर्फ़ अपने आप में पूरे हैं, बल्कि शान से सीना ताने भी खड़े रहते हैं। अब चाहें बेवफ़ाई हो, छल या कपट हो। फ़रेब हो, या फिर धोखा। सब इश्क के रास्ते में रोड़ा बने रहते हैं।  ज्यादा पुरानी बात नहीं है, देशभर की चर्चित फ़िज़ा और चांद मौहम्मद की कहानी को लोग अभी भूले भी नहीं हैं। मौहब्बत के परवान चढ़ने से पहले ही दोनों की कहानी चार दिन की चांदनी की तरह बिखर गई। एक-दूसरे पर मर-मिटने की कसमें खाने वाले दोनों आशिक अब एक-दूसरे को पानी पी-पीकर कोस रहे हैं। अरे भई इसीलिये तो कहते हैं कि ये इश्क नहीं आसां, बस इतना समझ लीजिए, इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है।
4 Responses
  1. ये इश्क नहीं आसां, बस इतना समझ लीजिए, इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है।

    -यहाँ तो दरिया में डूब ही गये..अब क्या जाना है!!

    --अच्छा परिभाषित किया है.


  2. जीवन में पाने योग्य कुछ भी सरल नहीं होता। जो सागर में गोता नहीं लगाएगा मोती क्या पाएगा?
    घुघूती बासूती


  3. Anonymous Says:

    nafrat , chal, kapat sab kuch aasan hai isliye poorey hain.... Pyaar, mohabbat mushkil hai. iTS ONLY MEANT FOR THOSE WHO DESERVE IT. isliye adhoore hain. taaki koi inhe poora kar sake...


  4. बहुत खूब....
    इश्क का रोग कब किसे लग जाए, कौन जानता है। नज़र से नज़र मिली नहीं, कि प्यार परवान चढ़ जाता है ......
    जनाब आपकी ये चंद लाईने दिल को छूती हैं क्योंकि अक्सर ऐसा ही होता है..