अबयज़ ख़ान
तेरह साल का बच्चा बाप बन गया, सुनकर हैरत तो हुई, लेकिन अचरज बिल्कुल भी नहीं हुआ। कंप्यूटर गेम खेलने वाला 13 साल का एल्फ़े पेटन एक बच्चे का बाप बन गया। मामला ब्रिटेन का है, तो शायद आप सोचते होंगे कि वो लोग हमसे ज्यादा एडवांस हैं। वहां तो हर काम सुपरफास्ट अंदाज़ में होता है। अंग्रेज़ों में तो ये कोई नई बात नहीं है। लेकिन बच्चा तेरह साल की उमर में बाप बन गया, और लड़की 14 साल की उम्र में बच्चे की मां बन गई। मामला पेचीदा, लेकिन ब्रिटेन से जुड़ा है, तो हम लोग इसे बड़ी बात न समझकर भुला देंगे। लेकिन जनाब बच्चे तो अपने हिंदुस्तान के भी कम नहीं है। अब चाहें आप तहज़ीब की कितनी दुहाई देते फिरें, बच्चे तो अपनी उम्र से ज्यादा बड़े हो गये हैं। टीवी पर आने वाले सीरियल्स देखें, तो बच्चों का अंदाज़-ए-बयां किसी से कम नहीं होता। बच्चों की फ़रमाइशें बदल गई हैं, तो उनके शौक भी बदल गये हैं। लेकिन हम समझना ही नहीं चाहते। कलर्स टीवी पर आने वाला बच्चों का हंसी का कॉमेडी प्रोग्राम जंग नन्हें हंसगुल्लों की अपनी टीआरपी की वजह से तालियां बटोर रहा है। लेकिन छोटे बच्चों के चुटकले अगर हंसने पर मजबूर कर देते हैं, तो एक-बारगी ये भी सोचना पड़ता है कि ये बच्चे ज्यादा समझदार हो गये हैं, या फिर इनको आज के युग ने ज़रुरत से ज्यादा एडवांस बना दिया है।


पुणे की रहने वाली सलोनी की उम्र तो महज छह साल है, लेकिन उसने जो चुटकुला सुनाया, उसने न सिर्फ़ हंसने पर मजबूर कर दिया, बल्कि बच्चों की उम्र भी बता दी। ज़रा आप भी सुनिए सलोनी का चुटकुला। सलोनी कहती है कि उसकी मम्मी उसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करतीं, जबकि उसके पापा उसे बहुत प्यार करते हैं। मम्मी उसे बाहर खेलने भी नहीं जाने देतीं। जबकि पापा की छुट्टी होती है, तो वो उसे चॉकलेट के लिए पैसे देते हैं, और कहते हैं कि जाओ बेटा खेलने जाओ, और हां एक घंटे से पहले वापस मत आना। अब इसको सुनकर हंसी तो आई, लेकिन फिर माथा भी ठनका, कि अरे बाबा इन बच्चों को आखिर कैसे पता कि उनके पापा उन्हें खेलने क्यों भेज देते हैं। ये वो बातें हैं, जो हमारी पीढ़ी के लोग अपने बचपन में सोच भी नहीं सकते थे। और अगर हमारे मुंह से बचपन में कोई ये बात सुन भी लेता, तो इतनी पिटाई लगती कि डर के मारे रूह कांप जाती। लेकिन सलोनी जैसे और भी बच्चे हैं, जो ऐसी-ऐसी बातें सुना जाते हैं कि हम अपनी फैमली के सामने आज भी सुन लें, तो झेंप भी न मिटाई जाए। लेकिन जनाब नई पीढ़ी के बच्चे बहुत बड़े हो गये हैं। छोटी उम्र के बच्चे प्यार की वो एबीसीडी भी सीख गये हैं, जिसके बारे में सोचते ही हम शर्म से पानी-पानी हो जाते थे। आज के बच्चे तो न सिर्फ़ गर्लफ्रेंड और ब्वायफ्रेंड बनाते हैं, बल्कि उनके मां-बाप भी इसे मंज़ूरी देते हैं। छोटे परदे के सबसे बिकाऊ सीरियल बालिका वधु को कौन नहीं जानता। नन्हीं अविका यानि आनंदी का एक छोटा सा दूल्हा है, जिसकी ज़ालिम दादीसास उसे सताती रहती हैं। लेकिन जब वही बच्ची टीवी चैनलों पर लाइव देती है, तो साफ़ कहती है कि वो तो जगदीशिया से कतई शादी नहीं करेगी। बल्कि उसका दूल्हा तो उसकी पसंद का ही होगा। नन्हें-नन्हें बच्चे टीवी पर ही एक-दूसरे को प्रपोज़ कर जाते हैं। अब आप इसके लिए टीवी और नेट को लाख दोष देते फिरें, लेकिन जनाब आपके बच्चे आपसे भी ज्यादा बड़े हो गये हैं।
3 Responses
  1. बवाल Says:

    अतिदुखदाई किन्तु कतई आश्चर्यजनक नहीं। सच फ़रमाया जी आपने के हम और हमार समाज खुद ही अपने बच्चों को वक्त से पहले ही बड़ा कर देना चाह्ता है। शर्मनाक है सलोनी के चुट्कुले भी कहीं से उचित नहीं हैं जी। खैर।


  2. आप की बात सही है।आज के बच्चे की सोच उस की उम्र से बहुत बड़ी हो गयी है।लेकिन यदि यह सही दिशा की ओर जाए तो बहुत अच्छा होगा। लेकिन आज जैसा माहौल समाज का बन रहा है उससे भय लगता है..............


  3. Unknown Says:

    u r very much right sir .v all know that it is happening .and by seeing the atmosphere around v tend to believe that it is the actual normal behaviour .though v know that programms are being made to gain trp's through sacrificing innocence of the children .it is degrading the childhood of the children ,as they are not aware wat they are doing .their innocent ,bubbly behavoir is lost,they are made mature at such an early age,which children regret in adulthood as they will crave for their childhood .upon that parents dont realise it,as name fame and money has paralysed their thinking to go beyond.things around are normal ,either they are above or below the line of normalcy,and excess of everything is bad .condition of Swaat valley,check on the education of muslim girls in UP ,and horrendous acts of Ramsena etc are a few Talibanical examples .y people are not trying to behave normal ,balanced .y the so called teacher's whether they are parents ,ramsena or taliban not understanding the nature and its natural function .y r they disturbing kids in their normal grow up process,or to muslim girls to learn and educate .some rules full of culture,some fences of logic ,some guidence of parents leads to natural development but excess of everything at illogical time is really bad .