ये ख़बर किसी का भी दिल दहला सकती है। हो सकता है इसको पढ़ने के बाद आपके रोएं भी खड़े हो जाएं.. लेकिन ये ख़बर एकदम सच है.. इसी ज़मीन पर एक मुल्क ऐसा भी है, जहां लोग मिनटों में एक हाथी को चट कर गए। सुनकर अटपटा लग रहा है न आपको.. लेकिन ये एकदम सच है.. इंसान ने हैवान का रूप इख्तियार कर एक हाथी को चट कर दिया। एक हुजूम देखते ही देखते विशालकाय हाथी को हज़म कर गया.. और किसी को डकार भी नहीं आई। छह हज़ार किलो का हाथी, डेढ़ घंटे से भी कम वक्त में ख़त्म हो गया.. देखते ही देखते हाथी की बोटी-बोटी कर दी गईं... और मैदान में कुछ बचा, तो सिर्फ़ हाथी का कंकाल..अगर आपको अब भी यकीन नहीं है, तो ये तस्वीरें देख लीजिए... जो इस कहानी को खुद-ब-खुद बयां कर रही हैं। क्योंकि तस्वीरें कभी झूठ नही बोलतीं...
हाथी का गोश्त खाने के शौकीन इन लोगों ने भालों और नुकीले हथियारों से उसका काम तमाम कर दिया। इन लोगों ने तो दरिंदगी की इंतिहा पार कर दी...जंगल में बीमारी से तड़प-तड़प कर हाथी मौत की नींद सो गया.. और उसे बचाने वाले हाथ उसकी मौत पर जश्न मनाने में जुटे थे। मामला जिम्बाब्वे के गोरालिज़ू नेशनल पार्क का है. जहां बीमारी की वजह से एक हाथी की मौत हो गई.. जैसे ही ये ख़बर इलाके में आम हुई.. एक हुजूम हाथी की तरफ़ उमड़ पड़ा... मरे हुए हाथी को देखते ही लोगों ने आव देखा न ताव.. भीड़ में जिसको भी मौका मिला.. वो हाथी का गोश्त खाने के लिए पागल हो गया... भूखी भीड़ मरे हुए हाथी पर टूट पड़ी। दरिंदगी की हद पार करते हुए लोगों ने उसकी बोटी-बोटी कर डाली... भूखे भेड़ियों की तरह लोगों ने उसके जिस्म से गोश्त के पारचे उतारना शुरु कर दिये। जिसको जो मिला, उसने मरे हुए हाथी पर वही आज़माया। तीर-तलवारों से लेकर छोटे-छोटे भालाओं तक, हाथी पर हर तरह के हथियार का इस्तेमाल किया गया... बच्चों से लेकर बड़े तक सब इस जश्न में शामिल थे...
गांव-गांव से लोग हाथी का गोश्त खाने के लिए उमड़ पड़े... हाथी के दोश्त की दावत आम हो गई... लोग बोरे और बर्तनों में भरकर गोश्त अपने घर ले गए.. लेकिन कुछ लोग तो ऐसे थे, जो हाथी के गोश्त को कच्चा ही चबा गए... गोश्त को झपटने के लिए हालत ये थी, कि लोग एक दूसरे से गुत्थमगुत्था भी हो गए... देखते ही देखते मिनटों में ही छह हज़ार किलो का हाथी कंकाल में बदल गया.. हालांकि इस घटना के बाद इंसान और जानवर में फर्क करना ज़रा मुश्किल हो रहा है... लेकिन इंसान अपना काम तमाम कर चुका था.. अब बारी जानवरों की थी... और इंसान के बाद वहां कुत्ते भी अपने लिए बोटी-हड्डी की तलाश में मंडराने लगे.. पापी पेट के लिए इंसान सचमुच हैवान बन गया.. एक मरे हुए हाथी के लिए इससे बुरा क्या होगा, कि उसकी मौत पर मातम मनाने के बजाए, लोग उसके मातम का जश्न मना रहे थे...
रोचक रोमांचित कर देने वाला समाचार...
शर्मनाक घटना
अजीब-से लोग ! यह जीभ इतनी शैतान है..नृशंस भी !
हे भगवान !
zimbave me aisa b hota he jaan kar dukh hua. lekin ek tassalli hui ki hamare India ki ye ghatna nahi hai.
यदि मर चुके हाथी ने किसी की भूख मिटाई तो क्या बुरा हुआ? यदि उसे शिकार कर मारा गया होता तब बुरा होता।
घुघूती बासूती
इंडिया टीवी छाप खबर है. मुझे तो लोग हाथी खाते हुए नजर नहीं आ रहे है.ऐसा लग रहा है जैसे बीमार हाथी की देख भाल की जा रही हो. खबर गढ़ने जैसा है. अगर प्रमाणिक है तो खबर का लिंक दो.
"तीर-तलवारों से लेकर छोटे-छोटे भालाओं तक, हाथी पर हर तरह के हथियार का इस्तेमाल किया गया..."
मुझे तो किसी के पास नहीं दिखे तीर और तलवार. क्यों बेवकूफ बनाकर चिट्ठे की रेटिंग बढ़ाने की कोशिश कर रहे हो.
यार! डरा ही दिया....ऐसा भी होता है.....?
Aapke hisaab se agar hathi ki jagah bakra hota to achcha tha. Bhai jan to jan hi hai chahe hathi ki ho ya bakre ki. Bakre ke saath aisa hona kisi ko bhi ajeeb na lagta. Kripya dhyan se sochen
मरा हुआ जानवर खा रहे हैं..नॉनवेज्टेरियन हैं. मुर्गा, बकरी आदि तो जिन्दा काट कर मारा जाता है और शौक से खाया जाता है, फिर इसमें कैसी बुराई...हाँ, हाईजिनिक दृष्टिकोण से बीमार पशु का मांस नुकसानदायक हो सकता है मगर भूख से मरने से तो बेहतर है. जिम्बाबवे आदि देशों में सैकड़ों लोग भूख से बिलख कर मर जाते हैं.
पेट की भूख जो न करा दे....बाकी माँसाहारी लोगों के लिए क्या मुर्गा/बकरा क्या हाथी.
आप सभी लोगों का शुक्रिया.. लेकिन बेरोज़गार भाई साहब का खास तौर पर क्योंकि उन्होंने दो कमेंट्स दिये हैं. जनाब रेटिंग बढ़ाना मेरा मकसद नहीं है.. मैं कोई नया ब्लॉगर नहीं हूं..दो साल से लिख रहा हूं.. दूसरी बात ये ख़बर तेज़ चैनल पर चली थी, लेकिन आपने देखी नहीं.. तीसरी बात कुल्हाड़ियां चलाने वाली तस्वीर मैं नहीं लगा सकता। बहुत ही वीभत्स है। आप ब्लॉग पर आए, इसके लिए तहेदिल से आपका शुक्रगुज़ार हूं..
जब मुर्गा, बकरा, गाय, भैंस, चिड़िया, मछली मारकर खाए जाने में बुराई नहीं तो मरे हाथी को खाने में कैसी बुराई? मर तो वह चुका ही था. अगर मांस खाना गलत है तो हर तरह का मांस खाना गलत है, वरना सभी मांस ठीक हैं.
farzee khabar hai, yadi bheed haathee par toot padee thee to chitra men usse door baitha jansamooh kaise nazar aa sakata hai, kisee chaloo news channel jaisee khabar hai
खबर करीब 3-4 महीने पुरानी है लेकिन सच्ची है। और तस्वीरों के लिए http://damncoolpics.blogspot.com/2010/03/what-happens-when-elephant-dies-in.html
http://current.com/news/92283503_how-they-treat-the-dead-elephant-in-zimbabwe.htm
पर जा सकते हैं...
अनामिका जी.. आपकी इस ज़र्रानवाज़ी के लिए अल्फ़ाज़ नहीं हैं...
शर्मनाक घटना