Nov
24

वादियों के बीच इस चाय का ज़ायका आपके मुंह को ऐसा लगेगा, कि बस पूछिए मत... दिल से बस यही निकलेगा... वाह चाय..! घर के बाहर आपने होटल या किसी खोमचे पर चाय की चुस्कियां ज़रूर ली होंगी.. लेकिन आप मेरे साथ चलिए समंदर से 3018 मीटर की ऊंचाई पर... हिमालय से सटे बद्रीनाथ... भारत के आखिरी गांव माणा में... जहां चार से पांच डिग्री के टेम्परेचर में चाय पीने का अपना अलग ही मज़ा है... बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर आगे एक चाय की दुकान... जहां से बिना इजाज़त आगे जाना गैरकानूनी है... जहां पहुंचने के लिए आपको कठिन चढ़ाई का सामना करना पड़ेगा.. बर्फ़ की हसीन वादियों से घिरे इस इलाके में कई मंदिर भी हैं...
भारत-चीन सीमा पर बर्फीली सड़क के बीचों-बीच बसे इस गांव में है चाय की एक ख़ास दुकान... जहां अगर आपने एक बार चाय पी ली, तो वो ताउम्र याद रखेगी... न सिर्फ ज़ायके के लिए बल्कि अपनी एक और ख़ासियत के लिए... भारत के आखिरी छोर पर मौजूद इस दुकान का नाम ही पड़ गया, "भारत में चाय की आखिरी दुकान" कड़ाके की ठंड और सफ़र की थकान इस दुकान की एक गर्मागर्म चाय की प्याली से पलभर में छूमंतर हो जाएगी...

खास बात ये है कि यहां दार्जिलिंग और असम की कड़क चाय मिलती है, तो साथ ही खास हर्बल, तुलसी और घी वाली चाय भी मौजूद है... एडवेंचर के शौकीन लोग जब इस इलाके से गुज़रते हैं, तो भारत में चाय की इस आखिरी दुकान पर आना नहीं भूलते...लेकिन इस दुकान के साथ एक और खास बात जुड़ी है, वो ये कि जब बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं, तभी इस दुकान की रौनक होती है, और जब बद्रीनाथ के कपाट बंद होते हैं, तभी इस दुकान के दरवाज़े भी छह महीने के लिए बंद हो जाते हैं... मतलब साफ़ है कि अगर आप इतनी रोमांचक चाय पीना चाहते हैं, तो आपको बद्रीनाथ की यात्रा के दौरान के दौरान ही यहां का रुख करना होगा... ज़िंदगी में जब कभी मौका मिले... और अगर अगली बार आप बद्रीनाथ के दर्शनों का प्रोग्राम बना रहे हैं, तो एक बार इस दुकान के दर्शन भी ज़रूर कीजिए... वरना आपको ताउम्र इसका मलाल रहेगा, कि आपने "भारत में चाय की आखिरी दुकान" पर चाय की चुस्कियां नहीं लीं...
सच में यह चाय पीने का अलग ही स्वाद होगा शुक्रिया इस जानकारी के लिए
nice
वाह, बढ़िया जानकारी।
घुघूती बासूती
BAHUT ACHCHI JAANKAARI HAI ,SHUKRIYA
उम्दा जानकारी दी इस दुकान की..शायद जीवन में कभी मौका लगा तो जरुर पियेंगे इस दुकान पर चाय!
एक गर्म चाय की प्य़ाली हो
कोई उसको पिलाने वाली हो।
यकीनन ऐसी चाय लाजवाब होगी...साथ ही आप ऐसे ही जानकारी से लबरेज लेख लिखते रहे ताकि पाठकों तक भारत के कोने कोने की जानकारी मिलती रही....
चाय की इस आखिरी दुकान के बारे में जानकर अच्छा लगा। शायद कभी यहां की चाय पीने का सौभाग्य मिल ही जाए।
क्या बात है ! चीनी सीमा पर चीनी वाली चाय जो अंग्रेज़ चीन से ही लेकर आये थे। वैसे अपन तो चख चुके हैं इस चाय का स्वाद। यादें ताज़ा करवा दीं आपने।
बचपन की यादें ताज़ा कर दी... सर्दी का लुत्फ लेने का जो वर्णन किया है आपने... अब वो ढूंढे भी नहीं मिलता..। मन करता है कि फिर से वो दिन लौट आएं..। अभी व्यस्तता का दौर है... क्या करें.... बाध्यता है...। और अगर हम चाहकर भी कोशिश करें तो वैसा आनंद शायद ही उठा पाएं...।
किसी दिन ज़रूर आखिरी दुकान पर चाय पी जाएगी...
अच्छा लिखा है.... रिपोर्ताज लग रही है...
अबयज़ भाई 2-3 महीने पहले इस दुकान पर चाय पीकर आया हूं। इस दुकान के ठीक बगल में सरस्वती नदी भी अपने पूरे प्रवाह के साथ बहती है। सरस्वती नदी के दर्शन केवल यहीं पर होते हैं। अगर आप इस दुकान के आखिरी छोर पर पत्थर पर बैठकर चाय पीयेगें तो सरस्वती नदी का जल प्रपात आपके ऊपर ठंडे छींटे उड़ाता है। चाय की चुस्कियों के बीच ये छींटे आपके कपड़ो को थोड़ा गीला तो ज़रूर कर देते हैं लेकिन रोमांच दोगुना हो जाता है। फिलहाल तो ये बर्फबारी की वजह से बन्द हो गयी है। अप्रेल से रास्ता खुलेगा ...चाय की चुस्की ज़रूर लीजियेगा। शुक्रिया अबयज
बहुत शुक्रिया दिनेश भाई... वाकई ये जगह मज़ेदार है.. और चाय के तो क्या कहने
शुभ अभिवादन! दिनों बाद अंतरजाल पर! न जाने क्या लिख डाला आप ने! सुभान अल्लाह! खूब लेखन है आपका अंदाज़ भी निराल.खूब लिखिए. खूब पढ़िए!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने और अच्छी जानकारी भी मिली ! मुझे तो चाय पीना बेहद पसंद है और मौका मिले कभी तो इस दुकान पर चाय पिने ज़रूर जाउंगी!
hamesha ki tarah.....bahut accha sir...
बेहतरीन चाय मिलती है ये तो कई बार सुना था कभी पी नहीं पाया था लेकिन आपने लिखकर पिला दी है।
kya baat..bahut kuch naya pata chala aapka blog padh kar...wo kuch pata chala jo mere ander hi tha!
मन में चाय की आखिरी दूकान पर चाय पीना अपने आप में निश्चित ही अद्भुत है......आपके ब्लॉग के सहारे हमने भी मन का आन्नद उठाया.....डिटेल में यात्रा विवरण लिखिए
bahuthi badhiya jankari di hai apne, thanks.kabhi mauka mila to jaroor jaunga.
चाय पीने का मज़ा इसी स्थान पर आता आता है
जय बद्रीनाथ ॐ