Dec
24

हम एक जान दो जिस्म तो नहीं थे, लेकिन हम हर जज्बात के साथी थे.. हम हर दर्द के साथी थे.. हम हर दुख के साथी थे... हमने हर कदम साथ चलने का वादा तो नहीं किया था.. लेकिन हमने राह में कदम ज़रूर साथ बढ़ाए थे... उसी रास्ते पर जहां हमसे पहले तमाम लोग चलकर निकल गये... ये रास्ता मुश्किलों भरा ज़रूर था.. लेकिन इतना कठिन भी नहीं... हर सुबह की शुरुआत में क्यों लगता था.. जैसे कोई मेरी आंखों पर हाथ रखकर कहता हो... उठो सुबह हो चुकी है.. जागो.. सवेरा हो गया है.. देखो सूरज कितना चढ़ आया है...ऐसा लगता था, जैसे कोई कहता हो, कि देखो तुम अपना ख्याल नहीं रखते हो.. तुम सर्दी में ऐसे ही चले आते हो... तुम कभी अपने बारे में भी सोचा करो...
जाने क्यों ऐसा लगता है जैसे तुमने मुझे शरारतन हल्की सी चपत लगाई हो और कहते हो, कि जाओ मुझे तुमसे बात नहीं करना.. तुमने कबसे मुझे फोन ही नहीं किया... तुम्हारे पास मुझसे साझा करने के लिए दो अल्फ़ाज़ भी नहीं हैं... आखिर ऐसा क्या हुआ था.. कि अचानक तुम मेरी ज़िंदगी में चुपचाप से दाखिल हो गये.. बिना कोई आहट किये... दिल के दरवाज़े पर कोई दस्तक भी न हुई... और तुम पहरेदार बन गये... मेरे एक-एक पल का हिसाब रखने लगे... मेरी हर घड़ी पर नज़र रखने लगे...दिल की धड़कनों ने भी अब तुम्हारे हिसाब से अपनी रफ्तार तय कर ली... मेरी रफ्तार भी अब तुम्हारी रफ्तार की साझा हो गई... हर कदम उसी रास्ते पर पड़ता, जहां तुम्हारी कदमबोसी हुई थी...

मेरी नस-नस ये कहती है, कि तुम्हारे आने के बाद जीने की एक वजह मिल गई थी... तुम्हारी आंख से निकले मोती, क्यों मेरी बेचेनी की वजह बन जाते थे... क्यों मेरा एक दिन गायब हो जाना, तुम्हें बेकरार कर देता था... क्यों एक-दूसरे को देखे बिना हमारा दिन गुज़रता नहीं था... लेकिन न जाने क्यों मुझे आज भी समझ नहीं आता... कि कैसे कोई अजनबी किसी का हो जाता है... फिर कैसे उसी से रूठ जाता है... लेकिन ये भी सच है कि तुम्हारी हया तुम्हारा गहना है... और शायद यही वो वजह थी... जिसने मुझे तुम्हारी सादगी पर फिदा कर दिया... न जाने क्यों मुझे आज भी लगता है, कि तुम आओगे.. फिर से.. ज़रूर आओगे... और होले से एक चपत लगाकर कहोगे, कि तुम्हारा दिमाग ख़राब है.. जो बात-बात पर रूठ जाते हो...चलो मुझे भी तुमसे बात नहीं करना...
बेहद दिल को छू लेने वाले भाव के साथ लिखी गई ....बहुत ही खूबसूरत रचना......
दिल को छू गई.....अंत तक बाँध रखा ..... ग्रेट वर्क .....
क्या बात है भाई , बहुत खूब , दिल को छु लिया आपकी इस रचना नें ।
इसे पढ़ा नहीं..महसूस किया...
बहुत प्रवाहमयी दिल को छूती पोस्ट!!
इश्क़....!!
अहा...! भावनाओं का इतना खूबसूरत चित्रण लंबे समय बाद कहीं पढ़ने को मिला है...। एक-एक शब्द हृदय से निकला हुआ है...। कहीं पर भी कृत्रिमता नहीं...।
दिल को छुने वाले भाव मैने इससे पहले कभी नहीं पढ़े...लेकिन मुझे तो पूरी बात समझ में आ गई है...M I RIGHT.....
दिल को छुने वाले भाव मैने इससे पहले कभी नहीं पढ़े...लेकिन मुझे तो पूरी बात समझ में आ गई है...M I RIGHT.....
दिल को छुने वाले भाव मैने इससे पहले कभी नहीं पढ़े...लेकिन मुझे तो पूरी बात समझ में आ गई है...M I RIGHT.....
दिल को छुने वाले भाव मैने इससे पहले कभी नहीं पढ़े...लेकिन मुझे तो पूरी बात समझ में आ गई है...M I RIGHT.....
read.... और कुछ मालूम चला..वो जो शायद तुम गोलमोल कर गये...अफसोस कि तुमने छिपाया..पर जो भी है आपकी ये रचना उतनी ही खूबसूरत हो जितना आपका एहसास. इस एहसास को यूंही बरकरार रखना.. बहुत किस्मतवाले होते हैं वो जिन्हें ये एहसास मिलता है...ur. friend...