पागलखाने के डॉक्टर ने नये आने वाले मरीज़ का चेकअप किया, मरीज़ डॉक्टर को काफ़ी सेहतमंद लगा तो डॉक्टर ने पूछा तुम तो काफ़ी तंदरुस्त लग रहे हो। पागलखाने कैसे आ गये? मरीज़ ने ठंडी सांस लेते हुए कहा, डॉक्टर साहब मैं पागल नहीं हूं...मैं बिल्कुल ठीक हूं। दरअसल कुछ अरसा पहले मैंने एक बेवा से शादी की थी। उस औरत की एक जवान बेटी थी, वो अपनी मां यानि मेरी बीवी के साथ मेरे ही घर में रहती थी। इत्तेफ़ाक से मेरे बाप को वो लड़की पसंद आ गई। उस लड़की से मेरे बाप ने शादी कर ली। इस तरह मेरी बीवी मेरे बाप की सास बन गई। कुछ महीने बाद मेरे बाप के घर एक लड़की पैदा हुई, वो रिश्ते में मेरी बहन हुई क्योंकि मैं उसके बाप का बेटा था। दूसरी तरफ़ वो मेरी नवासी भी थी, क्योंकि मैं उसकी नानी का शौहर था।
इस तरह मैं अपनी बहन का नाना बन गया। कुछ महीनों बाद मेरे घर मेरी बीवी को लड़का पैदा हुआ। एक तरफ़ मेरी सौतेली मां मेरे बेटे की बहन लगती थी, दूसरी तरफ़ मेरी सौतेली मां मेरे बेटे की दादी भी लगती थी। इसलिए मेरा बेटा अपनी दादी का भाई बन गया। डॉक्टर साहब ज़रा सोचो मेरा बाप मेरा दामाद है और मैं अपने बाप का ससुर। मेरी सौतेली मां मेरे बेटे की बहन है। इस तरह मेरा बेटा मेरा मामू बन गया और मैं अपने बेटे का भांजा। डॉक्टर ने दोनों हाथों से अपना सर पकड़ा और चिल्लाकर कहा मेहरबानी करके मुझे बख्श दे, वरना मैं पागल हो जाऊंगा...
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ओफ हो !!!!...ऐसे में उसे पागल ही होना था.. बहुत जबर्दस्त उलझन है।
सुधी सिद्धार्थ
ye tho bahut pechide rishtey hai:),pagal hi ho jaaye padhkar,sahi aisa hua tho..gazab:)
बाप रे बाप... दया प्रभु दया.... सोचने और हंसने को एक साथ करने में जान निकलती जा रही है....
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रिश्ते तो भगवान की देन हैं लेकिन फिलवक्त इनका निर्वहन एक कड़ी चुनौती होती जा रही है... ऐसे में अगर उनको समझना भी एक चुनौती हो जाए तो भला कैसे चलेगा... बहरहाल दिमागी कसरत के लिए रिश्तों के इन उलझे तारों को सुलझाना काफी अच्छा है...
bhai waah
apne to kamaal kar diya hai ... kya soch hai
Maha mast likha hai aapne aapke is lekh ko hum Fun Portal Moorkhistan.com par aapke naam ke sath publish kar rahen hain.
Aaap direct bhi moorkhistan par lekh likh sakte hain.
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